अटारी (पंजाब)- भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से कुछ कदमों की दूरी पर स्थित, पंजाब के अटारी विधानसभा क्षेत्र के निवासी विकास और रोजगार के अवसरों की कमी को लेकर नाराजगी के साथ तथा इलाके के लिए वित्तीय पैकेज की मांग को लेकर रविवार को अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे।कुछ स्थानीय लोगों ने यह भी दावा किया कि नशे की समस्या ने अपने पैर पसार लिए हैं और सरकार को इसे रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। अटारी (अनुसूचित जनजाति) निर्वाचन क्षेत्र के कई गांव अटारी-वाघा सीमा से महज एक या दो किलोमीटर दूर स्थित हैं। अटारी विधानसभा क्षेत्र के तहत अटारी-वाघा संयुक्त जांच चौकी और एकीकृत जांच चौकी आती है। बढ़ई का काम करने वाले हरजिंदर सिंह ने कहा, यहां बेरोजगारी की समस्या है, कई सडक़ों की हालत खराब है और कुछ स्थानों पर सीवर व्यवस्था भी सही नहीं है। उसने कहा कि नशे की समस्या ने कई युवाओं पर असर डाला है और सरकार को इसे रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। वह बच्चों के लिए आसपास बेहतर शैक्षणिक सुविधाएं चाहते हैं ताकि उन्हें अमृतसर जाना न पड़े। अटारी विधानसभा क्षेत्र इसी जिले के तहत आता है। अंतरराष्ट्रीय सीमा से महज एक किलोमीटर दूर अटलगढ़ गांव के हरजीत सिंह ने भी बेरोजगारी की समस्या बताई। उन्होंने कहा, यहां कोई उद्योग नहीं है। हरजिंदर सिंह ने पीटीआई-भाषा से कहा कि सीमावर्ती इलाकों के लोग देश की सेवा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं और सरकार को भी उन्हें स्वास्थ्य तथा शिक्षा समेत बेहतर सुविधाएं मुहैया करानी चाहिए। अटारी के निवासियों ने महाराजा रणजीत सिंह की सेना के जनरल रहे सरदार शाम सिंह अटारीवाला से संभवत: प्रेरणा ली है। अटारी के मुख्य बाजार इलाके में उन्हें समर्पित एक स्मारक है। इससे पहले दो होवित्जर बंदूकों को स्मारक मैदान में रखा गया था और इन्हें अटारीवाला की 168वीं शहादत के मौके पर 14 फरवरी 2014 को पूर्व सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने दिया था। हरजिंदर सिंह ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों को अच्छा वित्तीय पैकेज देना चाहिए ताकि पूरे क्षेत्र का विकास हो और युवाओं को रोजगार मिले।अटारी क्षेत्र से चुनावी मैदान में 13 उम्मीदवार हैं जिनमें कांग्रेस के तरसेम सिंह सियालका भी शामिल हैं। जसविंदर सिंह आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हैं जबकि शिरोमणि अकाली दल ने वरिष्ठ नेता गुलजार सिंह राणिके को प्रत्याशी बनाया है। पड़ोसी तरन तारन जिले के खेम करन विधानसभा क्षेत्र में अजय कुमार ने कहा कि यहां कोई अच्छा कॉलेज या स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं। कुमार का गांव खालरा तहसील पट्टी के तहत आता है और यह अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब है। कुमार ने कहा, इलाके में ज्यादा विकास नहीं हुआ है। वह आस पंजाब पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। खेम करन से चुनाव लड़ रहे कुमार ने कहा कि कई युवा नशे के जाल में फंस जाते हैं। एक दुकान चलाने वाले और सामाजिक कार्यकर्ता कुमार ने कहा, मैं बदलाव लाने के लिए चुनाव लड़ रहा हूं। आजकल लोग काफी जागरूक हैं, वे सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं तथा बेहतरी के लिए बदलाव चाहते हैं। खेम करन 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की प्रमुख टैंक लड़ाई के लिए भी मशहूर है।