पेरिस- फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने कहा है कि फ्रांस माली से अपने सैनिकों को वापस बुला लेगा लेकिन इसके पड़ोसी पश्चिमी अफ्रीकी देशों में सैन्य उपस्थिति बनाए रखने का इरादा जताया। माली में इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों को खदेडऩे के लिए हस्तक्षेप के नौ साल बाद फ्रांस ने वहां से अपने सैनिकों को हटाने की घोषणा की है। पेरिस में संवाददाता सम्मेलन के दौरान इस कदम की घोषणा करते हुए मैक्रों ने माली में सत्तारूढ़ सैन्य जुंटा पर इस्लामिक स्टेट के आतंकियों को पीछे धकेलने की लड़ाई में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया। मैक्रों ने कहा कि फ्रांस के लिए पीछे हटना तर्कसंगत है क्योंकि उसकी भूमिका युद्ध के मैदान पर एक संप्रभु राज्य को बदलने की नहीं है। उन्होंने कहा, राज्य का सहयोग नहीं मिलने पर आतंकवाद के खिलाफ जीतना संभव नहीं है। साहेल क्षेत्र में फ्रांस के लगभग 4,300 सैनिक हैं। इनमें माली में 2,400 सैनिक भी हैं। बरखाने फोर्स कहे जाने वाले सुरक्षा बल के सैनिक चाड, नाइजर, बुर्किना फासो और मॉरिटानिया में भी हैं। मैक्रों ने कहा कि फ्रांस की सेना को माली सेना के साथ समन्वय से व्यवस्थित तरीके से हटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि फ्रांस सबसे पहले माली के उत्तर में सैन्य ठिकानों को बंद करना शुरू करेगा और वापसी में चार या छह महीने लगेंगे। मैक्रों ने कहा, हम सैन्य रूप से भागीदारी बनाए हुए नहीं रख सकते। माली में संक्रमणकालीन शासन के अधिकारियों के साथ हम रणनीति और लक्ष्यों को साझा नहीं करते हैं। यूरोपीय नेताओं ने बृहस्पतिवार को एक साथ घोषणा की कि यूरोपीय नेतृत्व वाले सैन्य कार्य बल ताकुबा के सैनिक भी माली से हट जाएंगे। ताकुबा कार्यबल में फ्रांस समेत 10 से ज्यादा यूरोपीय देशों के कई सौ सैनिक हैं।पश्चिम अफ्रीकी देश माली की संक्रमणकालीन सरकार द्वारा भाड़े के रूसी सैनिकों को अपने क्षेत्र में तैनात करने की अनुमति देने के बाद माली, उसके अफ्रीकी पड़ोसियों और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच तनाव बढ़ गया है। फ्रांस की सेना 2013 से माली में सक्रिय है, जहां उसने इस्लामी चरमपंथियों को सत्ता से खदेडऩे के लिए हस्तक्षेप किया। हालांकि, विद्रोही लड़ाके फिर से इकट्ठा हो गए और माली की सेना और उसके सहयोगियों पर हमला करना शुरू कर दिया। मैक्रों ने कहा कि माली में नागरिकों के लिए सहयोग जारी रहेगा, लेकिन उन्होंने भाड़े के रूसी सैनिकों को नियुक्त करने के लिए जुंटा को दोषी ठहराया। मैक्रों ने कहा कि सहयोगी देशों के गठबंधन के सुरक्षा बल अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट की कार्वाई का मुकाबला करने के लिए साहेल और गिनी की खाड़ी में मौजूद रहेंगे। साहेल में शामिल देशों के प्रतिनिधियों और यूरोपीय नेताओं के साथ इस मुद्दे को हल करने के लिए मैक्रों ने बुधवार को पेरिस में एक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया। माली और बुर्किना फासो के प्रतिनिधियों को आमंत्रित नहीं किया गया क्योंकि दोनों देशों को तख्तापलट के बाद अफ्रीकी संघ से निलंबित कर दिया गया था।