नई आबकारी नीति के विरोध में मंगलवार को आर्य समाज ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि ईमानदारी, भ्रष्टाचार के खिलाफ  और शराब को बंद करने के वायदों के साथ केजरीवाल सरकार में आए थे लेकिन आज ये खुद के जेब भरने और दूसरे राज्यों में चुनाव जीतने के लिए हर वो काम कर रहे हैं जिसे ना करने का उन्होंने वादा किया था। उन्होंने कहा कि सत्ता के नशे में चूर केजरीवाल ने 7 साल पहले अपनी खुद की लिखी स्वराज नामक किताब में कहा था कि एक शराब की दुकान खोलने के लिए नेताओं और अफसरों को घूस दिए जाते हैं इसलिए क्या आज केजरीवाल बताएंगे कि उन्होंने 850 शराब की दुकानें खोलने के लिए कितने करोड़ रुपये लिए हैं। उनकी पार्टी और उनके नेताओं ने कितने रुपये का बंदरबांट किया है। उन्होंने कहा कि मोहल्ला सभा और महिलाओं से बात कर शराब की दुकानें खोलने की बात करने वाले केजरीवाल दिल्लीवालों को बताए कि उन्होंने 850 शराब की दुकान खोलने से पहले किससे बात की है। आदेश गुप्ता ने कहा कि नई आबकारी नीति लागू करने के पीछे सरकार ने वजह बताई कि इससे राजस्व में बढ़ोतरी होगी जबकि हकीकत ये है 65,000 करोड़ रुपये का दिल्ली का बजट है। लगभग 40 प्रतिशत बजट का पैसा हर साल वापस चला जाता
आगामी दिल्ली नगर निगम चुनाव को देखते हुए दिल्ली की राजनीतिक पाटियां भाजपा शासित नगर निगमों की कार्यशैली और फंड को लेकर आरोप पत्यारोप तेज कर दिया है। हाल ही में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पूर्वी नगर निगम को सरकार द्वारा जारी किए गए फंड को लेकर आंकड़े जारी किए थे, जिसे भाजपा शासित पूर्वी दिल्ली नगर निगम के महापौर निराधार बताते हुए खारिज कर दिया था। इसी को ध्यान में रखते हुए मंगलवार को पूर्वी दिल्ली के महापौर श्याम सुंदर अग्रवाल निगम की आर्थिक स्थिति के ताजा आंकड़े पेश किए। इस दौरान महापौर ने बताया कि वर्ष 2020-21 में अप्रैल 2021 में निगम के पास 300 करोड़ रूपये बैलेन्स था। 27 दिसंबर 2021 तक निगम के पास राजस्व के रूप में 1286.28 करोड़ रूपये आया है। कुल मिलाकर 1586.28 करोड़ रूपये निगम के पास थे जिसमें से 1494.76 करोड़ रूपये हमने वेतन व अन्य मदों पर खर्च किया। कुल 1286.28 करोड़ रूपये में 780.43 करोड़ रूपये दिल्ली सरकार ने वेतन और प्लान स्कीम के तहत दिया। अग्रवाल ने कर्मचारियों को 4 महीने से वेतन न मिलने की वजह से उनका चूल्हा नहीं जल रहा है और भूखमरी की नौबत आ गयी है। वे अपने बच्चों की स्कूल फीस का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं, अपने लोन की ईएमआई का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। इन सबका यदि कोई जिम्मेदार है तो वह दिल्ली सरकार है जिसने हमारा अभी तक इस साल कुल 245.93 करोड़ रूपये की कटौती की गयी है। चौथे वित आयोग की सिफारिशों को विधानसभा से पास करने के बावजूद इन्होंने 6000 करोड़ रूपये से ज्यादा पैसा अभी तक उपलब्ध नहीं कराया है जिससे पूर्वी निगम की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गयी है।