नई दिल्ली- लाइन क्षमता वृद्धि के कार्यों को तेजी आगे बढ़ाते हुए उत्तर मध्य रेलवे ने महत्वाकांक्षी मथुरा-पलवल चौथी लाइन परियोजना का निर्माण कार्य पूरा कर लिया है। ज्ञात हो किए इस परियोजना को रेलवे बोर्ड द्वारा 2015-16 में स्वीकृति प्रदान की गई थी और परियोजना की कुल लागत रु. 668.7 करोड़ थी। इस परियोजना में क्रमश: हरियाणा और उत्तर प्रदेश के पलवल और मथुरा जिले शामिल हैं। पहले चरण में इस परियोजना के पलवल-रुंधी खंड को सीआरएस की स्वीकृति के उपरांत 21 फरवरी 2019 को चालू किया गया था। इसके बाद, रुंधी-शोलाका, शोलाका-होडल और होडल-छटा खंडों को चालू किया गया और यातायात के लिए खोला गया। इसके बाद शेष छाता-भूतेश्वर खंड के चालू होने के साथ, अब यह परियोजना पूरी हो गई है जिससे गतिशीलता के सुधार को बहुत बल मिलेगा। चौथी लाइन के चालू होने के साथ, अब उत्तर मध्य रेलवे के आगरा मंडल में अप और डाउन लाइन पर परिचालन के लिए दो-दो लाइनें उपलब्ध हो गई हैं। इस परियोजना के क्रियान्वयन का दायित्व निर्वहन करने वाले उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी निर्माण शरद मेहता ने कहा यह हमारे लिए प्राथमिकता वाली परियोजनाओं में से एक थी और हमारे अधिकारियों इसको पूरा करने के लिए दिन-रात काम किया। उन्होंने कहा कि सीआरएस निरीक्षण एक विस्तृत निरीक्षण है जिसमें सीआरएस सूक्ष्म तरीके से हर पक्ष का आंकलन कर यह सुनिश्चित करते हैं कि सभी संरक्षा संबंधी मानकों का पालन किया गया है किए नहीं। इस के दृष्टिगत हमने कड़ी मेहनत की थी कि और कोई कसर नहीं छोड़ी थी। मेहता ने  बताया कि सीआरएस पूर्वोत्तर परिक्षेत्र ने गुरुवार को छाता-भूतेश्वर के बीच 28.4 किलोमीटर की चौथी लाइन खंड का निरीक्षण किया और 110 किमी प्रति घंटे की गति से परीक्षण किया। गति परीक्षण में कोई त्रुटि नहीं मिली और सीआरएस सामान्य तौर पर संतुष्ट थे। ज्ञात हो कि गत शुक्रवार को, इस खंड पर माल और यात्री यातायात प्रारंभ करने के लिए ऑथराइजेशन सीआरएस से प्राप्त हो गया था। यहां यह उल्लेेख करना प्रासंगिक है कि रेलवे संरक्षा आयुक्त एक वैधानिक निकाय है जो नागरिक विमानन मंत्रालय के तहत कार्य करता है। किसी नई रेलवे लाइन पर यात्री यातायात को प्रारंभ करने के लिए रेलवे संरक्षा आयुक्त से प्राधिकार प्राप्त करना अनिवार्य है। महाप्रबंधक उत्तर मध्य रेलवे प्रमोद कुमार ने आगरा मंडल और परियोजना के कार्यान्वयन में शामिल अधिकारियों की टीम को बधाई दी। उन्होनें आशा व्यक्त किया की इस परियोजना के पूरा होने अब ट्रेनों की समयपालन में और सुधार होगा और अब मथुरा-झांसी तीसरी लाइन और अन्य अन्य आधारभूत संरचना के कार्यों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करने का उचित समय है।