पुणे- एक संस्थान भारत की समृद्ध विरासत और ज्ञान प्रणाली पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम चला रहा है,जिसका उद्देश्य लोगों को बिना किसी विवरण नैरेटिव के प्रामाणिक जानकारी प्रदान करना है। संस्थान के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह जानकारी दी।अधिकारियों ने कहा कि धर्म, साहित्य, दर्शन, शासन और नीति-निर्माण, खगोल विज्ञान, गणित, विज्ञान, चिकित्सा, कला, वास्तुकला, इतिहास और संस्कृति जैसे विषयों को भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट (बीओआरआई) द्वारा अपने ऑनलाइन शिक्षण मंच भारत विद्या के माध्यम से पेश किए जाने वाले पाठ्यक्रमों के हिस्से के रूप में शामिल किया गया है। डिजिटल पहल के समन्वयक चिन्मय भंडारी ने कहा कि स्कूल और कॉलेज में केवल निश्चित पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है और विषय का एक बड़ा हिस्सा अनछुआ रह जाता है। उन्होंने कहा, इसलिए हमारी इस पहल का उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों को विशेषज्ञता और संसाधन प्रदान करना है। वर्तमान में संस्थान द्वारा छह पाठ्यक्रम पेश किए जा रहे हैं : वेद विद्या, दर्शन, डिजिटल संस्कृत शिक्षा, महाभारत का परिचय, कालिदास एवं भाषा और पुरातत्व के बुनियादी सिद्धांत। हालांकि, संस्कृत बोलने से संबंधित पाठ्यक्रम नि:शुल्क है, जबकि अन्य पाठ्यक्रम शुल्क के आधार पर उपलब्ध हैं।अधिकारियों ने बताया कि ऑनलाइन शिक्षण मंच को अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। विभिन्न क्षेत्रों के लोग पाठ्यक्रम के लिए अपना नामांकन करवा रहे हैं। इंडोलॉजी भारत से संबंधित जानकारी और एशियाई अध्ययन के लिए 1917 में स्थापित इस प्रमुख संस्थान में 28,000 से अधिक पांडुलिपियां और 1.53 लाख दुर्लभ किताबें मौजूद हैं और यह शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं का पसंदीदा अड्डा है। वर्ष 2004 में, संभाजी ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं ने एक अमेरिकी लेखक के साथ कथित रूप से सामग्री साझा करने के लिए संस्थान में तोडफ़ोड़ की थी, जिसने अपनी पुस्तक में मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में कुछ आपत्तिजनक टिप्पणी लिखी थी। ज्ञान के इस खजाने की पहुंच देश और दुनियाभर तक संभव बनाने के मकसद से संस्थान ने हाल ही में अपना ऑनलाइन शिक्षण मंच शुरू किया। बीओआरआई के कार्यकारी अध्यक्ष भूपाल पटवर्धन ने कहा कि यह मंच भारत की समृद्ध सभ्यतागत विरासत और भारतीय ज्ञान प्रणाली पर नि:शुल्क के साथ-साथ शुल्क के आधार पर संसाधन और पाठ्यक्रम प्रदान करता है।भंडारी ने कहा कि बीओआरआई पिछले कुछ वर्षों से पांडुलिपियों और दुर्लभ किताबों के डिजिटलीकरण पर काम कर रहा है।उन्होंने बताया कि महामारी के दौरान, संस्थान ने भारतीय विरासत पर एक ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू किया, जिसे अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी।