नई दिल्ली- भारतीय जनता पार्टी अगले महीने होने जा रहे पंजाब विधानसभा चुनाव में जितनी सीट पर चुनाव लड़ेगी, उनमें से आधे से अधिक सीट पर सिख उम्मीदवारों को उतारेगी। पार्टी महासचिव तरुण चुघ ने शनिवार को यह बात कही। भाजपा नीत गठबंधन के बारे में उन्होंने कहा कि यह उम्मीद है कि 117 सदस्ईय विधानसभा के लिए 20 फरवरी को होने जा रहे चुनाव में इसके ज्यादातर उम्मीदवार सिख समुदाय से, खासतौर पर किसान और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) होंगे। भाजपा नीत गठबंधन में पंजाब लोक कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) शामिल हैं। चुघ ने कहा कि भाजपा गठबंधन के लिए मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा घोषित करने का विकल्प भी तलाश कर सकती है।
सूत्रों ने बताया कि पंजाब में कुल 117 विधानसभा सीट में 65 पर भाजपा के उम्मीदवार उतारने की संभावना है, जबकि उसके सहयोगी दल, पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह नीत पंजाब लोक कांग्रेस के 38 सीट पर और शिअद (संयुक्त) के 14 सीट पर चुनाव लडऩे की संभावना है। उन्होंने बताया कि भाजपा के 33 से 35 सिख उम्मीदवार और समग्र रूप से गठबंधन के तौर पर समुदाय से 70 से अधिक उम्मीदवार उतारे जा सकने की संभावना है।
चुनाव में भाजपा की संभावनाओं के बारे में चुघ ने कहा कि पार्टी अपने शानदार प्रदर्शन से सबको चौंका देगी। सहयोगी दलों के साथ सीट साझेदारी पर चुघ ने कोई ब्योरा नहीं दिया, लेकिन कहा, भाजपा गठबंधन में वरिष्ठ साझेदार की भूमिका निभाएगी। उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, भाजपा जितनी सीट पर चुनाव लड़ेगी, उनमें से करीब आधे पर सिख उम्मीदवारों को उतारेगी और समग्र रूप से गठबंधन के करीब 60 प्रतिशत सिख उम्मीदवार होंगे, जिनमें ज्यादातर किसान और ओबीसी तथा अनुसूचित जाति (एससी) समुदायों से होंगे।
भाजपा 34 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी कर चुकी है, जिनमें 13 किसान समुदाय से और एससी समुदाय से नौ उम्मीदवार हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा या गठबंधन किसी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाएगा, चुघ ने कहा, सभी विकल्प खुले हैं। केंद्र के तीन कृषि कानूनों पर प्रदर्शन के बाद पंजाब में भाजपा की स्वीकार्यता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दलों ने भाजपा के साथ गठबंधन किया है और सिख धार्मिक संगठनों से जुड़े ज्यादातर लोग पार्टी में शामिल हुए हैं, इस तरह यह राज्य में भाजपा की स्वीकार्यता को प्रदर्शित करता है। कांग्रेस के पंजाब प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए चुघ ने कहा, पंजाब, विभाजन से सर्वाधिक प्रभावित हुआ और आज की तारीख तक पाकिस्तान के चलते। इसलिए, यह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के उन दोस्तों को खारिज कर देगा जो उन्हें शांति का दूत बताते हैं।