शहरी योजनाओं पर 2014 से करीब 12 लाख करोड़ रुपए हुए खर्च, संप्रग से आठ गुना: सरकार

सरकार ने पिछले आठ वर्षों में शहरी विकास योजनाओं पर करीब 12 लाख करोड़ रुपए खर्च किए हैं, जबकि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल के 10 साल में यह राशि सिर्फ 1.57 लाख करोड़ रुपए थी। आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बृहस्पतिवार को यह बात कही। वह यहां प्रगति मैदान में इंडियन प्लंबिंग एसोसिएशन (आईपीए) द्वारा आयोजित तीन दिन की प्रदर्शनी प्लंबएक्स इंडिया को संबोधित कर रहे थे। पुरी ने आईपीए की पहल भारत टैप की शुरुआत की, जिसका मकसद पानी की खपत को कम करना है। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय पानी बचाने के लिए इस अभियान में शामिल होगा।

भारत टैप के तहत कम बहाव वाले टैप और फिक्स्चर के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने नारेडको माही (रियल एस्टेट संस्था नारेडको की महिला शाखा) की पहल निर्मल जल प्रयास की शुरुआत भी की। इस पहल का मकसद पानी की बचत को प्रोत्साहित करना है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, पिछली सरकार ने 2004-2014 तक दस वर्षों में सभी शहरी योजनाओं पर कुल मिलाकर 1.57 लाख करोड़ रुपए खर्च किए थे। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के तहत खर्च आठ गुना बढ़ गया है। पुरी ने कहा, यह (शहरी योजनाओं पर खर्च) आठ गुना या करीब 12 लाख करोड़ रुपए होना चाहिए। मंत्री ने कहा कि अमृत 2.0 और स्वच्छ भारत मिशन 2.0 का परिव्यय 4.71 लाख करोड़ रुपए है।