जयपुर- राजस्थान के राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने सोमवार को कहा कि आयुर्वेद के प्राचीन ज्ञान को आधुनिक संदर्भों में विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने आयुर्वेद विश्वविद्यालय को आयुर्वेद चिकित्सा शोध एवं अनुसंधान में विश्व का उत्कृष्ट केन्द्र बनाए जाने का भी आह्वान किया। मिश्र सोमवार को जोधपुर के डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षांत समारोह में ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों से प्रेरणा लेते हुए विश्वविद्यालय को चिकित्सा के नवीन शोध कार्यों को बढ़ावा देना चाहिए। इसी तरह हमारी आयुर्वेद की महान चिकित्सा पद्धति को फिर से जीवंत किया जा सकता है मिश्र ने कहा कि प्राचीन ग्रंथों और आधुनिक संदर्भों को जोड़ते हुए यदिनवीनतम शोध और अनुसंधान होते हैं तो इसके बहुत अच्छे परिणाम होंगे उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के भावी आयुर्वेद चिकित्सकों को चाहिए कि वे अपने मरीजों के साथ सहानुभूति रखते हुए आयुष पद्धतियों के कारगर उपयोग से निरोगी राजस्थान के लिए कार्य  करें।मिश्र ने कहा कि कोविड के इस दौर में आयुर्वेद के महत्व को विश्वभर में स्वीकार किया गया है और अब यह प्रमाणित हो गया है कि आयुर्वेद से असाध्य से असाध्य रोग का भी इलाज हो सकता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को चाहिए कि वह आयुष पद्धतियों को व्यावहारिक बनाए। उन्होंने कोविड महामारी के दौरान विश्वविद्यालय द्वारा गिलोय पर किए गए शोध-कार्य को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मान्यता प्रदान किए जाने की सराहना की। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के पंचकर्म विभाग में उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की भी सराहना की।उन्होंने विश्वविद्यालय के अंतर्गत आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी एवं योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के अंतर्गत स्नातक, स्नातकोतर एवं पीएचडी उपाधियां प्रदान कीं तथा विभिन्न संकायों के विद्यार्थियों को कुलाधिपति स्वर्ण पदक भी ऑनलाइन प्रदान किए। मिश्र ने दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय अनुसंधान परियोजना से संबंधित पुस्तक एविडेंस बेस्ड आयुर्वेदा ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल का भी लोकार्पण किया।