पहले अपने मर्जी से कैडर ट्रांसफर का आग्रह करना, फिर पीएम की अध्यक्षता वाली कमेटी के नए कैडर अलॉट होने के करीब 11 महीने बाद भी पुराने पोस्ट पर जमे रहना।और हो भी क्यों नहीं जब ऊपर से लेकर नीचे तक सब के सब मैनेज हो तो भला कोई क्या ही कर सकता। जब साहब तक पहुँच हो तो भला क्या कर सकता हैं ट्रांसफर का आदेश – अपनी मर्जी है जब चाहेंगे जॉइन करेंगे। भले ही आदेश को आये 11 महीने से ज्यादा का वक्त हो जाये। बात हो रही है हरियाणा सरकार के सबसे पसंदीदा अधिकारी अजीत बालाजी जोशी की।बीते साल 31 मई 2022 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने 2003 बैच के आईएएस अजीत बालाजी जोशी और उनकी पत्नी गौरी पराशर जोशी जो 2009 बैच ओडिशा कैडर की आईएएस है।उनके अनुरोध पर शादी के आधार पर पंजाब कैडर में ट्रांसफर किया। इसके लिए अक्टूबर 2020 में, आईएएस कपल अजीत बालाजी जोशी और गौरी पराशर जोशी ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण यानी कैट की चंडीगढ़ बेंच ने याचिका दायर कर शादी के आधार पर सेम स्टेट कैडर में ट्रांसफर की मांग की थी।दोनों कपल के अनुरोध और कैट के आदेशों को मानते हुए एसीसी ने 31 मई 2022 को पंजाब स्थानांतरित करने की मंजूरी दे दी।जिसके बाद उनकी पत्नी गौरी पराशर जोशी 3 अगस्त 2022 को ही लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी के उप निदेशक के उनके पूर्व प्रभार से मुक्त कर दिया गया। और पंजाब सरकार उन्हें ने 11 अगस्त 2022 को विशेष सचिव, स्कूल शिक्षा के पद पर तैनात किया गया। इधर अजीत बालाजी जोशी हरियाणा में एक साथ दो इम्पोर्टेन्ट पोर्टफोलियो पर अभी भी तैनात है पहला हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, पंचकुला के मुख्य प्रशासक और दूसरा पंचकूला महानगर विकास प्राधिकरण के सीईओ के पद पर तैनात है। अजीत बालाजी जोशी के आदेश आने के बाद भी हरियाणा सरकार से रिलीज नहीं किया जा रहा है, 1 सितंबर 2022 को हरियाणा सरकार ने पंजाब सरकार को लिखा कि अजीत बालाजी जोशी की जरूरत उन्हें कुछ महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को पूरा होने के लिए जरूरी है। ऐसे में उन्हें फिलहाल रिलीव नहीं किया जा सकता। हरियाणा सरकार के द्वारा पंजाब को लिखे पत्र ये बताता है कि अजीत बालाजी जोशी का कद और प्रभाव कितना बड़ा है। उनके द्वारा चलाये जा रहे प्रोजेक्ट को लीड करने के लिए हरियाणा सरकार में उनकी बराबरी का कोई अधिकारी नहीं है। इधर डीओपीटी के एस्टेब्लिशमेंट ऑफीसर हरियाणा चीफ सेक्रेटरी के 1 सितंबर 2022 के कम्युनिकेशन को दबा के रखा है जिसमें अजीत बालाजी और उनकी पत्नी को पंजाब में जॉइन करने का आदेश दिया गया था। गौरतलब है कि एसीसी एस्टेब्लिशमेंट में बैठी अधिकारी हरियाणा कैडर की आईएएस है जिनकी जिम्मेदारी थी कि एसीसी के द्वारा 31 मई 2022 को जारी किए ट्रांसफर आदेश का पालन अभी तक क्यों नहीं कि गई। इसकी जानकारी क्या पीएम की अध्यक्षता वाली कमेटी को सूचना दी गई। ये हालात तब है जब दोनों अधिकारियों के अनुरोध पर ही उनके कार्डर मर्जर का आदेश दिया गया था। ऐसा लग रहा है कि ऑफिसर्स के बीच का नेक्सस इतना मजबूत हैं कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली एसीसी के निर्णय को भी नहीं मानने की हिमाकत करते है, अजित बालाजी जोशी की रिलीविंग करने में हरियाणा सरकार की ओर से जानबूझकर कर देरी और एसीसी एस्टेब्लिशमेंट के द्वारा फ़ाइल को रोके रखना कमेटी के काम काम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहा है। नौकरशाहों के बीच की मिलीभगत से पता चलता है कि वे सभी प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली एसीसी को बेवकूफ बना रहे हैं।