नई दिल्ली दिल्ली – साउथ इंडियन बैंक ने खेती में किसानों और अन्य हितधारकों की मदद के लिए ‘यूनिफाइड कोलैटरल मैनेजमेंट सॉल्यूशंस’ प्रदान करने के लिए सोहन लाल कमोडिटी मैनेजमेंट के साथ महत्वपूर्ण साझेदारी की घोषणा की है। यह सहयोग प्रतिस्पर्धी ब्याज दरों पर पोस्ट-हार्वेस्ट क्रेडिट तक पहुंच को बढ़ावा देगा। साथ ही किसानों को वैज्ञानिक भंडारण सेवाएं प्रदान की जाएंगी और मंडियों में कमोडिटी की निष्पक्ष कीमतें सुनिश्चित होंगी।इस साझेदारी के जरिए खेती में आने वाली कुछ प्रमुख चुनौतियों विशेषकर फसलों की कटाई के बाद के भंडारण और फाइनेंसिंग के क्षेत्रों में समाधान प्रदान किये जाएंगे। इसके तहत, एसएलसीएम द्वारा प्रदान किए गए नए कोलैटरल मैनेजमेंट और वेयरहाउसिंग समाधानों का संयोजन साउथ इंडियन बैंक की वित्तीय विशेषज्ञता से किया जाएगा।इस साझेदारी के बारे में साउथ इंडियन बैंक के एसजीएम और हेड-क्रेडिट सेंथिल कुमार ने कहा,साउथ इंडियन बैंक में, हम उन किसानों के लिए स्थायी विकास और वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।हम अपना कृषि पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं ताकि ग्रामीण भारत में एक मजबूत ढांचा तैयार करके पैदावार, आमदनी आदि में सुधार हो सके। इससे वे अपनी कमोडिटी का सुरक्षित एवं वैज्ञानिक तरीके से भंडारण कर सकेंगे। साथ ही किसानों और कृषि-व्यवसायों को प्रतिस्पर्धी दरों पर पोस्ट-हार्वेस्ट क्रेडिट तक आसान पहुंच भी मिलेगी।नई साझेदारी को लेकर एसएलसीएम ग्रुप के सीईओ संदीप सभरवाल ने कहा, साउथ इंडियन बैंक के साथ हमारा गठबंधन हमारे कोलैटरल मैनेजमेंट और वेयरहाउसिंग बिजनेस मॉडल की मजबूती दर्शाता है, जिसे एक मजबूत ‘फिजिटल’ इंफ्रास्ट्रक्चर और बेजोड़ वेयरहाउस प्रबंधन विशेषज्ञता पर बनाया गया है। साउथ इंडियन बैंक अब खेती के सिस्टम में संस्थाओं को डिफॉल्ट के न्यूनतम जोखिम के साथ ऋण प्रदान करने के लिए हमारे गोदामों और विशेषज्ञता के व्यापक नेटवर्क का लाभ उठा सकते है। हम व्यापक वेयरहाउस सपोर्ट के साथ फसल सुरक्षा के लिए एक विश्वसनीय वैज्ञानिक प्रबंधन सिस्टम की सुविधा मुहैया कराते हैं। भारत सरकार से दो प्रतिष्ठित पेटेंट हासिल करने वाले हमारा एआई-संचालित और एनएबीएल मान्यता प्राप्त एप्लिकेशन ‘एग्री रीच’ फसल या भौगोलिक स्थिति की परवाह किए बिना फसलों की कटाई के बाद होने वाले नुकसान को 10 फीसदी से घटाकर 0.5 फीसदी तक लाने में सफल रहा है।इस सहयोग से कृषि क्षेत्र पर सकारात्मक असर पड़ने की संभावना है। इससे किसानों और कृषि व्यावसायों को ज्यादा बेहतर सहयोग मिलेगा।
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