नई दिल्ली – ‘इंक, सैफरन एंड फ्रीडम’ पुस्तक जो आधुनिक भारतीय राष्ट्र के जन्म और विकास का एक प्रखर चित्रण है, का भव्य विमोचन डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, 15 जनपथ, नई दिल्ली में गगनभेदी करतल ध्वनि के साथ संपन्न हुआ। यह पुस्तक वरिष्ठ पत्रकार एवं आजीवन स्वयंसेवक श्री केदार नाथ गुप्ता द्वारा लिखी गई है, जिसमें पत्रकार श्रीमती मनोरंजना सिंह का भी सहयोग रहा है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल, विशिष्ट अतिथि के रूप में एशियन न्यूज इंटरनेशनल (ANI) के चेयरमैन श्री प्रेम प्रकाश, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और सैकड़ों पत्रकार उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम का संचालन गुप्ता परिवार के सदस्यों द्वारा किया गया। यह पुस्तक देश के प्रतिष्ठित प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई है। वरिष्ठ पत्रकार श्रीमती मनोरंजना सिंह ने भी इसके लेखन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ‘इंक, सैफरन एंड फ्रीडम’ पुस्तक में श्री केदारनाथ गुप्ता ने भारतीय पत्रकारिता, संस्कृति, आरएसएस की वैचारिक पृष्ठभूमि और भारतीय राजनीति के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं का गहराई से विश्लेषण किया है।’इंक, सैफरन एंड फ्रीडम’ पुस्तक केवल रिपोर्टिंग नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक विरासत है। यह एक मशाल है, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को सौंपी जाती है। श्री गुप्ता के शब्द स्पष्टता, अंतरात्मा और सांस्कृतिक दृढ़ता से ओत-प्रोत हैं। गढ़मुक्तेश्वर में विभाजन की हिंसा से लेकर दिल्ली के शुरुआती न्यूज़रूम की धुंआभरी गलियों तक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वैचारिक रीढ़ से लेकर भारतीय पत्रकारिता की मद्धिम होती गरिमा तक, यह पुस्तक भारत की यात्रा के साहस और अंतर्विरोधों को उजागर करती है। ऐसे समय में जब भारत एक सभ्यतागत चौराहे पर खड़ा है, ‘इंक, सैफरन एंड फ्रीडम’ जड़ों से जुड़ी आवाज बनकर सामने आती है। यह पूछने का साहस करती है कि राजनीतिक विजय के बावजूद सांस्कृतिक पुनर्जागरण अधूरा क्यों है। यह पुस्तक प्रश्न उठाती है कि भारतीय नीतिनिर्माण पर विदेशी तत्वों का प्रभाव क्यों है? और यह युवा भारतीयों को पत्रकारिता, विरासत और राष्ट्रीय स्मृति को पुनः प्राप्त करने की सीख देती है। पुस्तक उस व्यक्तिव की कहानी है जिसने इतिहास को केवल घटित होते देखने से इनकार कर दिया- उसने उसे लिखा। नागरिकों, विद्वानों, स्वयंसेवकों और भारत के सत्य के खोजियों के लिए यह पुस्तक अनिवार्य रूप से पठनीय है।‘इंक’ पत्रकारिता का प्रतीक है, ‘सैफरन’ देशभक्ति का और ‘फ्रीडम’ तो स्वयं स्पष्ट है। “इतिहास के अनगिनत मोड़ों को यह पुस्तक गहराई से खंगालती है,” डॉ. कृष्ण गोपाल, सह सरकार्यवाह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कहा। उन्होंने आगे कहा कि हिंदू समाज ही एकमात्र सहिष्णु समाज है, जो सभी को स्वीकार करता है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया को हिंदू समाज और हिंदू जीवन पद्धति की आवश्यकता है। श्री गोपाल ने उल्लेख किया कि गांधी जी की हत्या के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया गया था, लेकिन उससे पहले भी कांग्रेस के कई नेता संगठन को समाप्त करने की बात करते थे। उन्होंने विभाजन के दौरान देश में फैले भयावह माहौल, हिंसा, लूटपाट और विस्थापन को याद किया और सवाल उठाया कि असल जिम्मेदार कौन था। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान का निर्माण हुआ तो शांति आनी चाहिए थी, लेकिन संघर्ष जारी रहा। उन्होंने बताया कि भाषा के विभाजन-उर्दू और बांग्ला-ने बांग्लादेश के निर्माण में भूमिका निभाई। इसी तरह आज पाकिस्तान में सिंधी, पश्तून और बलूच समुदायों में भी अलगाव की भावना देखी जा सकती है। ये समुदाय अब पाकिस्तान के साथ नहीं रहना चाहते। जब आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया गया, तब 16 वर्षीय केदार नाथ गुप्ता को बक्सर जेल भेजा गया। स्वतंत्र भारत को यह समझने में लंबा समय लगा कि क्या नहीं करना चाहिए और क्या करना चाहिए… यह पुस्तक सब कुछ समेटे हुए है। यह दो भागों में है: एक भाग दिल्ली के बारे में है और दूसरा आरएसएस व स्वतंत्र भारत की राजनीति के बारे में,” एएनआई के चेयरमैन श्री प्रेम प्रकाश ने कहा। उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली पर बहुत कुछ उर्दू में लिखा गया है, लेकिन यह अंग्रेज़ी पुस्तक खासकर पुरानी दिल्ली के बारे में रोचक जानकारी देती है। उन्होंने यह भी कहा कि श्री केदार नाथ गुप्ता एक ऐसे क्रांतिकारी पत्रकार थे, जिन्होंने आपातकाल के दौरान भी लिखना जारी रखा। मेरी यह पुस्तक, जो आज यहां विमोचित हो रही है, मेरे जीवन, भारत की स्वतंत्रता, भारतीय राज्य के विकास और आरएसएस से मेरी गहरी जुड़ाव की अपनी यात्रा है, लेकिन यह किताब उतनी ही मेरे बारे में है, जितनी उस दुनिया के बारे में जिसमें मैं पला-बढ़ा। मैं आशा करता हूं कि मेरे प्रिय पाठक, जब अंतिम पृष्ठ पलटेंगे, तो यह जीवन आपके मन में लंबे समय तक गूंजता रहेगा,” केदार नाथ गुप्ता ने कहा। उन्होंने नॉर्वे के पूर्व मंत्री एरिक सोल्हेम और एथिकल जर्नलिज्म नेटवर्क के ऐडन व्हाइट जैसे अंतरराष्ट्रीय मित्रों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस भव्य आयोजन में राजनेता, साहित्य प्रेमी, विद्वान और विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य अतिथि उपस्थित हुए, जिससे यह एक सार्थक बौद्धिक विमर्श का मंच बन गया। कार्यक्रम का समापन वंदे मातरम् के गायन के साथ हुआ।