नई दिल्ली – जब पूरा विश्व मातृत्व के भावना को नमन कर रहा है, ऐसे में कुछ विशेष स्कूल लीडर्स का सम्‍मान करते हैं। जो हर दिन, शिक्षक और प्रिंसिपल के रूप में पढ़ाई और प्रशासन की भूमिका से आगे बढ़कर न केवल बच्‍चों को शिक्षित कर रहे हैं।वे स्कूल को दूसरा घर बनाते हैं, जहाँ सैकड़ों छात्र माँ जैसी देखभाल पाते हैं। स्कूलों में मातृत्व की भावना केवल एक दिन की बात नहीं होती। यह स्कूल की संस्कृति में रची-बसी होती है, जहाँ शिक्षक किताबों से आगे बढ़कर बच्‍चों के अंदर ऐसे संस्कारों की बुनियाद रखते हैं, जो उन्हें एक संवेदनशील और अच्छा मनुष्य बनने में सहायता करते हैं। सुश्री शिल्‍पा त्रिभुवन, रायन इंटरनेशनल एकेडमी, पुणे कहतीं हैं कि शिक्षक केवल पढ़ाने वाले नहीं, बल्कि बच्‍चों के भावनात्मक सहारा भी होते हैं। वे अपने व्यवहार से ममता की उदाहरण प्रस्तुत करते हैं वे बच्‍चों की बातों को ध्यान से सुनते हैं, गलतियों पर धैर्य रखते हैं, असफलताओं में उत्साह बढ़ाते हैं और छोटी-छोटी सफलताओं का जश्‍न मनाते हैं। इन छोटी-छोटी बातों से बच्‍चों के मन में भी वही अपनापन, समझदारी और संवेदनशीलता की भावना पनपती है। सुश्री शिल्‍पा त्रिभुवन, रायन इंटरनेशनल एकेडमी, पुणे आगे कहती हैं कि यूडीआईएसई+ डेटा के अनुसार, 2019-20 में महिला शिक्षकों की संख्या 50% से अधिक होने के बाद लगातार बढ़ रही है। साल 2022-23 और 2023-24 में इसमें उल्‍लेखनीय बढ़ोतरी देखने को मिली और यह 51.3% से बढ़कर 53.3% पहुंच गई। पिछले पाँच वर्षों में निजी स्कूलों में महिला शिक्षकों की संख्या में लगभग 20% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि सरकारी स्कूलों में यह वृद्धि लगभग 6% रही है। ये बदलाव स्कूलों के परिवेश में एक सकारात्मक और संवेदनशील बदलाव की ओर संकेत करते हैं। महिलाओं द्वारा संचालित कक्षाओं में लगभग 20% ज़्यादा समावेशी भागीदारी देखी गई है, जहाँ हर छात्र को बराबरी का अवसर मिलता है। इन शिक्षिकाओं को बच्चों के लिए अक्सर एक स्‍नेहिल और भरोसेमंद मार्गदर्शक के रूप में देखा जाता है, जो ऐसा वातावरण तैयार करती हैं जहाँ विद्यार्थी सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, बल्कि दयालुता, उत्तरदायित्व पूर्ण और सहानुभूति जैसे जीवन के आवश्यक गुण भी सीखते हैं। आज के स्कूल इस सोच को और दृढ़ता प्रदान कर रहे हैं कि शिक्षा केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं, अपितु यह बच्‍चों को आत्मविश्वासी, संवेदनशील और सक्षम मनुष्य बनाने की एक यात्रा है, ठीक उसी तरह जैसा एक माँ अपने घर में करती है। इस मदर्स डे पर उन प्रिंसिपल्स और टीचर्स का सम्मान, जो हर दिन अपने दैनिक भूमिका में मातृत्व को जीते हैं। ऐसे प्रिंसिपल व टीचर्स, सदैव देखभाल करने वाली माँ की तरह होते हैं।सुश्री शिल्‍पा त्रिभुवन, रायन इंटरनेशनल एकेडमी, पुणे ने कहा।