भारत सरकार ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती को ‘जनजातीय गौरव वर्ष’ के रूप में मनाने की मंजूरी दे दी है, जो 15 नवंबर 2024 से 15 नवंबर 2025 तक मनाया जाएगा। इसी के तहत, जनजातीय कार्य मंत्रालय ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय आयोजनों के माध्यम से एक साल का उत्सव मनाने की रूपरेखा तैयार की है, जिसमें देश भर के जनजातीय अनुसंधान संस्थान (टीआरआई) सक्रिय भूमिका निभाएंगे। यह वार्षिक उत्सव भारत के स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्र-निर्माण में जनजातीय नेताओं और समुदायों के योगदान का सम्मान करता है। प्रधानमंत्री जन जातीय आदिवासी न्याय महा अभियान – पीएम जनमन: भारत के सुदूर पीवीटीजी-प्रभावित जनजातीय गांवों का कायाकल्प पीएम-जनमन (पीएम-जनमन) 18 राज्यों और 01 केंद्र शासित प्रदेश में स्थित 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के समग्र विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक परिवर्तनकारी नीतिगत पहल है।24,104 करोड़ रुपये (केंद्रीय अंश: 15,336 करोड़ रुपये और राज्य अंश: 8,768 करोड़ रुपये) के बजटीय परिव्यय के साथ, पीएम-जनमन को पीवीटीजी समुदायों के लिए आवश्यक सेवाओं तक समान पहुंच प्रदान करने, उनकी जीवन स्थितियों में सुधार करने और उनके सामाजिक-आर्थिक विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।इसके मुख्य उद्देश्यों में तीन वर्षों के भीतर सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल, उन्नत शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, पोषण, सड़क संपर्क, बिजली, और स्थायी आजीविका के अवसर प्रदान करना शामिल है। मिशन-मोड दृष्टिकोण: 18 राज्यों और 01 केंद्र शासित प्रदेश के 75 PVTGs को लक्षित किया गया है, जिसके लिए ₹24,104 करोड़ का आवंटन किया गया है।लाभार्थी-केंद्रित हस्तक्षेप: 4.35 लाख घरों को स्वीकृति मिली है (लक्ष्य का 89%) 1.04 लाख घर पूरे हो चुके हैं, जिससे पीवीटीजी समुदायों के 19 लाख से अधिक लोगों को लाभ मिला है। 1.42 लाख घरों के विद्युतीकरण को स्वीकृति मिली है (100%) । 1.05 लाख घरों का विद्युतीकरण हो चुका है।सामुदायिक-आधारित हस्तक्षेप:: 511 वन धन विकास केंद्र स्थापित किए गए, जिनसे 44,050 पीवीटीजी सदस्य जुड़े। 349 व्यावसायिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए, जिनसे लगभग 25,000 लोगों को प्रशिक्षित किया गया। 687 मोबाइल मेडिकल यूनिट्स (मोबाइल चिकित्सा इकाइयाँ) को चालू किया गया, जो 8,200 से अधिक गांवों को कवर कर रही हैं। 1,000 बहुउद्देशीय केंद्रों (बहुउद्देश्यीय केंद्र) को स्वीकृति मिली (100% लक्ष्य)। इनमें से 612 निर्माणधीन हैं। 5,718 किलोमीटर सड़कों को स्वीकृति मिली, जिससे 2,374 पीवीटीजी गांवों को लाभ होगा। 7,202 गांवों में पाइप से पेयजल उपलब्ध कराया गया है। 2,139 आंगनवाड़ी केंद्रों को स्वीकृति मिली है।संतृप्ति मॉडल: 596 गांवों को विभिन्न हस्तक्षेपों से संतृप्त किया गया है। उल्लेखनीय उपलब्धियाँ:आंगनवाड़ी सेवाएँ: बिहार, केरल और मणिपुर में पूरी तरह संतृप्त। विद्युतीकरण: तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात और महाराष्ट्र में हासिल। स्वास्थ्य सेवाएँ: राजस्थान और उत्तर प्रदेश में संतृप्त। पेयजल तक पहुंच: गुजरात और तेलंगाना में हासिल।जागरूकता और लाभ संतृप्ति अभियान: राज्य सरकारों के सहयोग से 18,000 से अधिक जागरूकता और लाभ संतृप्ति अभियान आयोजित किए गए हैं, ताकि 28 लाख से अधिक पीवीटीजी व्यक्तियों को प्रमुख दस्तावेज़ों और लाभों तक पहुंच सुनिश्चित की जा सके। इनमें आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, जन धन खाते और पीएम-किसान, आयुष्मान भारत, मनरेगा जैसी योजनाओं का लाभ शामिल है।धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान समग्र विकास के माध्यम से 5.5 करोड़ आदिवासियों का सशक्तिकरण पीएम-जनमन योजना की सफलता से प्रेरित होकर, जनजातीय कार्य मंत्रालय (MoTA) ने गांवों में जनजातीय आबादी के समग्र और स्थायी विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक परिवर्तनकारी बहु-क्षेत्रीय पहल, ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ शुरू की है। इस योजना का शुभारंभ माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा 02.10.2024 को हजारीबाग, झारखंड में किया गया। यह महत्वाकांक्षी कार्यक्रम 17 मंत्रालयों की योजनाओं को एकीकृत करता है, जिसमें जनजातीय कार्य मंत्रालय भी शामिल है, 25 लक्षित हस्तक्षेपों के माध्यम से जनजातीय गांवों को आवश्यक सेवा बुनियादी ढांचे से संतृप्त करने पर ध्यान केंद्रित करता है। इस अभियान को अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (डीएपीएसटी) के माध्यम से जुटाए गए 79,156 करोड़ रुपये के महत्वपूर्ण निवेश से बल मिला है, जिसमें पांच वर्षों में केंद्रीय अंश 56,333 करोड़ रुपये और राज्य अंश 22,823 करोड़ रुपये शामिल है। उद्देश्य और दृष्टिकोण:यह पहल जनजातीय गांवों में प्रमुख अंतरालों को दूर करने का लक्ष्य रखती है, जिसमें निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित किया गया है:सुरक्षित आवास और स्वच्छ पेयजल। बेहतर स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवा सुविधाएँ। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और पोषण तक पहुंच में वृद्धि। विश्वसनीय बिजली आपूर्ति और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा। बेहतर सड़क और दूरसंचार कनेक्टिविटी। योजना अभिसरण के माध्यम से स्थायी आजीविका। दायरा और कवरेज: यह अभियान अंत्योदय मिशन गैप डेटा (2022-23) के आधार पर उच्च जनजातीय सांद्रता वाले गांवों, आकांक्षी जिलों और ब्लॉकों में अवसंरचनात्मक और मानव विकास के अंतरालों को दूर करने पर केंद्रित है। यह कार्यक्रम आकांक्षी ब्लॉकों और जिलों से आगे बढ़कर 26 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों के 549 जिलों के 2,911 ब्लॉकों में रहने वाले लगभग 5 करोड़ जनजातीय आबादी को लक्षित करता है, जिसके लिए कुल 79,156 करोड़ रुपये का परिव्यय है। प्रमुख उपलब्धियां: 11.45 लाख घरों को स्वीकृति मिली; 76,704 घर पूरे हुए। 1.84 लाख विद्युतीकरण कनेक्शनों को मंजूरी मिली। 62,515 गांवों में पाइप से जलापूर्ति को स्वीकृति मिली; 25,870 गांव संतृप्त हुए। 3,420 आश्रम विद्यालयों के उन्नयन को मंजूरी मिली। 14 राज्यों में सिकल सेल एनीमिया रोग के लिए 15 उत्कृष्टता केंद्र (सक्षमता केंद्र) स्वीकृत किए गए। 4,543 गांवों को दूरसंचार कनेक्टिविटी के लिए स्वीकृत किया गया; 2,983 गांवों को जोड़ा गया। जागरूकता और लाभ संतृप्ति अभियान: राज्य सरकारों के सहयोग से 4,000 से अधिक आईईसी (सूचना, शिक्षा और संचार) और लाभ संतृप्ति शिविर आयोजित किए गए हैं, ताकि 39 लाख से अधिक जनजातीय समुदायों को प्रमुख दस्तावेज़ों और लाभों तक पहुंच सुनिश्चित की जा सके। इनमें आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, जन धन खाते और पीएम-किसान, आयुष्मान भारत, मनरेगा जैसी योजनाओं का लाभ शामिल है।कलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएण्मआरएस) जनजातीय युवाओं को सशक्त बनाना: भविष्य के कार्यबल का निर्माण जनजातीय छात्रों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा समिति (एनईएसटीएस) ने शिक्षा की गुणवत्ता, बुनियादी ढांचे और जनजातीय छात्रों के समग्र विकास को बढ़ाने के लिए कई परिवर्तनकारी पहलें लागू की हैं, विशेष रूप से एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) में। इन पहलों में अकादमिक उत्कृष्टता, कौशल विकास, पाठ्येतर गतिविधियों में भागीदारी, शिक्षक प्रशिक्षण, डिजिटल शिक्षा, नेतृत्व और छात्र कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया गया है। नीति-स्तर की उपलब्धियां: केंद्रीय क्षेत्र योजना (सीएसएस) में परिवर्तन: 2019 से, ईएमआरएस को अनुच्छेद 275(1) वित्त पोषण से एक केंद्रीय वित्त पोषित योजना में स्थानांतरित कर दिया गया है, जिससे पूरे स्कूलों में शासन को मानकीकृत किया गया है। एनईएसटीएस का गठन: 2019 में, ईएमआरएस के राष्ट्रव्यापी संचालन की देखरेख के लिए एनईएसटीएस की स्थापना की गई थी, जिससे निरंतरता और गुणवत्ता सुनिश्चित हुई। मानकीकृत प्रबंधन: समान भर्ती नीतियां, सीबीएसई संबद्धता, ड्रेस कोड और शासन संरचनाएं लागू की गईं। कवरेज का विस्तार: वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर अब 50% से अधिक अनुसूचित जनजाति (एसटी) आबादी और कम से कम 20,000 जनजातीय व्यक्तियों वाले सभी जनजातीय ब्लॉकों में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) स्थापित किए जा रहे हैं। भर्ती नीति में व्यापक बदलाव: 2019-2026 के लिए 38,480 नए शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों को मंजूरी दी गई। 9,075 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती की गई। शैक्षणिक और संस्थागत उपलब्धियां:विद्यालयों का विस्तार: परिचालन ईएमआरएस की संख्या 2013-14 में 123 से बढ़कर 2024-25 में 477 हो गई है। सीबीएसई संबद्धता: 373 ईएमआरएस अब सीबीएसई से संबद्ध हैं, जो लगातार और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करते हैं।वित्तीय सहायता में वृद्धि: प्रति छात्र लागत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, 2014 में 42,000 रुपये से बढ़कर 2025 में 1,47,000 रुपये हो गई है, जिसमें शिक्षा, भोजन और छात्रावास सुविधाओं सहित सभी आवश्यक आवश्यकताएं शामिल हैं। शैक्षणिक विकास और कौशल निर्माण: अमेज़ॅन फ्यूचर इंजीनियर कार्यक्रम: अमेज़ॅन (एलएलएफ) के सहयोग से ब्लॉकचेन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कोडिंग और ब्लॉक प्रोग्रामिंग जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों को पेश किया गया, जिससे छात्रों को उद्योग-प्रासंगिक डिजिटल कौशल से लैस किया जा रहा है। यह कार्यक्रम 69,115 ईएमआरएस छात्रों को कवर करता है। व्यावसायिक शिक्षा: सीबीएसई के साथ साझेदारी कर व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को एकीकृत किया गया, जिससे छात्रों को व्यावहारिक कौशल और करियर-उन्मुख शिक्षा प्रदान की जा रही है। संकल्प परियोजना के तहत कौशल प्रयोगशालाएं: एमएसडीई और एनएसडीसी के सहयोग से कौशल प्रयोगशालाएं स्थापित की गईं, जिससे व्यावसायिक प्रशिक्षण और रोजगार क्षमता को बढ़ावा मिला। 200 ईएमआरएस में 400 कौशल प्रयोगशालाएं स्थापित की गईं। आईआईटी/एनईईटी के लिए डिजिटल ट्यूशन: प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए डिजिटल कोचिंग प्रदान करने हेतु पीएसीई के साथ सहयोग किया गया, जिससे छात्रों को प्रमुख संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए तैयार किया जा सके। यह कार्यक्रम 210 ईएमआरएस के लगभग 12,000 छात्रों को कवर करता है। केएएमपी-एनएएसटी विज्ञान योग्यता मूल्यांकन: एसटीईएम क्षेत्रों में रुचि को बढ़ावा देने के लिए छात्रों (कक्षा 6-12) की वैज्ञानिक योग्यता का आकलन किया गया, जिसमें ईएमआरएस के 1.25 लाख से अधिक छात्र शामिल थे। करियर काउंसलिंग सत्र: छात्रों को उनकी आकांक्षाओं को शैक्षणिक और व्यावसायिक अवसरों के साथ जोड़ने में मदद करने के लिए संरचित करियर मार्गदर्शन कार्यक्रम आयोजित किए गए। आईसीटी उपकरणों पर स्पोकन ट्यूटोरियल कार्यशाला: आईआईटी-बॉम्बे के सहयोग से छात्रों और शिक्षकों की आईसीटी उपकरणों में दक्षता बढ़ाने के लिए आयोजित की गई, जिससे डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा मिला। बुनियादी ढांचा और वित्तीय उपलब्धियां जटीय वृद्धि: 2019-20 में 16.22 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 4748.92 करोड़ रुपये ।
निर्माण वित्त पोषण में वृद्धि: मैदानी क्षेत्रों के लिए निर्माण लागत ₹12 करोड़ से बढ़कर ₹38 करोड़ हो गई, जबकि पूर्वोत्तर/पहाड़ी/वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) प्रभावित क्षेत्रों के लिए लागत 16 करोड़ रुपये से बढ़कर 48 करोड़ रुपये हो गई।
नए विद्यालय और बुनियादी ढांचा: 2014 से 2025 तक 555 नए विद्यालयों को मंजूरी दी गई, जिनमें से मार्च 2025 तक 370 भवन पूरे हो चुके हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा: स्मार्ट क्लासरूम और कोचिंग: 174 स्मार्ट क्लासरूम स्थापित किए गए; 200 ईएमआरएस छात्रों ने जेईई मेन्स 2025 की परीक्षा उत्तीर्ण की। पासपोर्ट टू अर्निंग: आईआईटी धनबाद में 1,773 छात्रों को प्रशिक्षित किया गया; आईआईएससी बैंगलोर में सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन में 500 छात्रों को प्रशिक्षित किया गया।
इसरो के साथ सहयोग: ईएमआरएस छात्रों के लिए अंतरिक्ष विज्ञान प्रशिक्षण हेतु ‘जयकार’ कार्यक्रम शुरू किया गया। पिछले एक दशक में, ईएमआरएस एक छोटी पहल से एक बड़े पैमाने के प्रमुख कार्यक्रम के रूप में विकसित हुआ है, जिसने जनजातीय छात्रों के लिए शिक्षा तक पहुंच, बुनियादी ढांचे और गुणवत्ता में उल्लेखनीय वृद्धि की है। सरकार के रणनीतिक नीतिगत बदलावों और बढ़े हुए वित्तीय निवेशों ने जनजातीय युवाओं के लिए बेहतर सीखने के परिणामों और अधिक अवसरों के लिए मंच तैयार किया है। छात्रवृत्ति योजना के माध्यम से जनजातीय छात्रों का सशक्तिकरण मंत्रालय पांच छात्रवृत्ति योजनाएं लागू करता है, जिनसे सालाना 30 लाख जनजातीय छात्रों को लाभ मिलता है। बजट में वृद्धि: वित्तीय आवंटन में 3 गुना वृद्धि (978 करोड़ रुपये से बढ़कर लगभग 3,088 करोड़ रुपये)। लाभार्थियों की वृद्धि: व्यापक कवरेज सालाना लगभग 18 लाख से बढ़कर लगभग 30 लाख छात्रों तक विस्तारित हुआ। उच्च शिक्षा तक पहुंच: एमफिल/पीएचडी फेलोशिप: 950 से बढ़कर 2,700। नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप: 8 से बढ़कर 58। टॉप-क्लास एजुकेशन स्कीम: 3,000 से बढ़कर 7,000 छात्र। दक्षता में वृद्धि:वास्तविक समय, सीधे बैंक हस्तांतरण के लिए डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण) में संक्रमण; देरी में कमी, छात्रवृत्ति वितरण में तेजी। प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (पीएमएएजीवाई) जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा 2022 में शुरू की गई प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (पीएमएएजीवाई) एक महत्वपूर्ण पहल है जिसका उद्देश्य जनजातीय-बहुल गांवों को मॉडल गांवों में बदलना है, ताकि एक एकीकृत दृष्टिकोण के माध्यम से उनके सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ाया जा सके। 50% से अधिक जनजातीय आबादी वाले गांवों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, पीएमएएजीवाई समग्र विकास के लिए 8 महत्वपूर्ण क्षेत्रों को लक्षित करती है, जिनमें सड़क और दूरसंचार कनेक्टिविटी, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, स्वच्छता और पेयजल शामिल हैं।नीति स्तर पर, यह योजना अभिसरण दृष्टिकोण को प्राथमिकता देती है, जिसमें जनजातीय गांवों के व्यापक विकास के लिए कई क्षेत्रों से संसाधनों को संरेखित किया जाता है। यह पहल समग्र जनजातीय सशक्तिकरण और उत्थान के लिए राष्ट्रीय जनजातीय नीति और जनजातीय उप-योजना (टीएसपी) की पूरक है। एक महत्वपूर्ण नीतिगत विशेषता अंतराल-भरने के उपायों के लिए प्रति गांव 20.38 लाख रुपये का प्रावधान है, जो राज्य सरकारों द्वारा भेजे गए ग्राम विकास योजनाओं (वीडीपी) में पहचाने गए विशिष्ट जरूरतों को संबोधित करता है। बजटीय आवंटन: 3476.88 करोड़ रुपये स्वीकृत। कवरेज: 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 17,656 ग्राम विकास योजनाएं (वीडीपी)। परिणाम और भविष्य की संभावनाएं: पीएमएएजीवाई ने पहले ही हजारों जनजातीय गांवों को बदल दिया है, लंबे समय से चली आ रही अवसंरचनात्मक कमियों को दूर किया है और 4.22 करोड़ से अधिक जनजातीय नागरिकों के लिए बेहतर जीवन स्तर में योगदान दिया है। अंतराल-भरने के उपायों पर लगातार जोर देने के साथ, इस योजना से अधिक दूरदराज के गांवों तक पहुंचने और समावेशी विकास सुनिश्चित होने की उम्मीद है। आने वाले वर्षों में, पीएमएएजीवाई का प्रभाव बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि अधिक वीडीपी को मंजूरी और वित्त पोषण मिलेगा, और जनजातीय क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता को और बढ़ाने के लिए डिजिटल साक्षरता और आजीविका सृजन जैसे अधिक क्षेत्रों को शामिल किया जाएगा।प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (पीएमजेवीएम) उद्यम विकास के माध्यम से जनजातीय आजीविका में परिवर्तन पीएमजेवीएम का लक्ष्य लघु वनोपज (एमएफपी) के मूल्यवर्धन के लिए वन धन विकास केंद्र (वीडेवीके) और वन धन उत्पादक उद्यमों की स्थापना करके जनजातीय समुदायों के लिए एक आजीविका-प्रेरित पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है। लघु वनोपज (एमएफपी) के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद तंत्र को मजबूत करना। जनजातीय बाजार तक पहुंच बढ़ाने के लिए हाट बाजार और गोदाम विकसित करना। ट्राईफेड नोडल एजेंसी के रूप में कार्यान्वयन और बाजार संपर्क सुनिश्चित करता है। प्रमुख परिवर्तनकारी उपलब्धियां जनजातीय उद्यमियों को सशक्त बनाना: 4030 वन धन विकास केंद्र (वीडीवीके) स्थापित किए गए, जिससे 12 लाख आदिवासियों को स्थायी आय प्रदान कर लाभ हुआ। लघु वनोपज (एमएफपी) के लिए एमएसपी का विस्तार: अधिसूचित एमएसपी सूची में 77 नए एमएफपी जोड़े गए, जिससे जनजातीय संग्राहकों को बेहतर मूल्य प्राप्ति सुनिश्चित हुई। बुनियादी ढांचा और बाजार संपर्क मजबूत हुए: 1316 हाट बाजार, 603 भंडारण इकाइयां और 22 प्रसंस्करण इकाइयों को स्वीकृति मिली, जिससे बाजारों तक सीधी पहुंच बनी। बुनियादी ढांचा विकास के लिए 89.14 करोड़ रुपये जारी किए गए। जनजातीय संस्कृति और वाणिज्य को बढ़ावा: प्रमुख शहरों में 38 ‘आदि महोत्सव’ आयोजित किए गए, जिससे जनजातीय हस्तशिल्प और कृषि उत्पादों को बढ़ावा मिला। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम (एनएसटीएफडीसी)राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम (एनएसटीएफडीसी) जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत एक शीर्ष संगठन है, जो अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के आर्थिक विकास के लिए समर्पित है। पिछले एक दशक (2014-2025) में, एनएसटीएफडीसी ने अपनी पहुंच और प्रभाव का महत्वपूर्ण विस्तार किया है, जिससे जनजातीय उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों और छात्रों को रियायती दरों पर वित्तीय सहायता प्रदान की गई है।एक मजबूत जनजातीय उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण: 4,030 वन धन विकास केंद्र (वीडीवीके) स्थापित किए गए, जिससे 12 लाख से अधिक जनजातीय उद्यमियों को लाभ हुआ। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सूची में 77 नए लघु वनोपज (एमएफपी) वस्तुओं को जोड़ा गया, जिससे बाजार के अवसरों का विस्तार हुआ। जनजातीय स्टार्टअप्स का समर्थन करने के लिए 50 करोड़ रुपये का वेंचर कैपिटल फंड बनाया गया। एनएसटीएफडीसी के माध्यम से 4,000 करोड़ रुपये अधिक का वितरण किया गया, जिससे लगभग 16 लाख आदिवासियों की आजीविका गतिविधियों का समर्थन हुआ। बाजार संपर्क और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 1,316 हाट बाजार, 603 भंडारण इकाइयां और 22 प्रसंस्करण इकाइयों को स्वीकृति मिली।धरती आबा ट्राइबप्रेन्योर्स 2025 पहल के तहत, 45 जनजातीय-नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स को प्रदर्शित किया गया; विशेष रूप से, आईआईएम कोलकाता और आईआईटी गुवाहाटी के दो स्टार्टअप्स ने प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार जीते। वन अधिकार कार्यान्वयन:अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम (एफआरएस) ने जनजातीय और वन-निवासी समुदायों द्वारा सामना किए गए ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह अधिनियम 13 विभिन्न व्यक्तिगत और सामुदायिक अधिकारों को मान्यता देता है और ग्राम सभाओं को जैव विविधता के प्रबंधन और संरक्षण का अधिकार देता है, जिससे सामाजिक न्याय और पर्यावरण संरक्षण दोनों सुनिश्चित होते हैं। पिछले एक दशक में, इसके कार्यान्वयन में पर्याप्त प्रगति हुई है, जिससे वन शासन में जनजातीय समुदायों की भूमिका मजबूत हुई है। 9.52 लाख से अधिक व्यक्तिगत वन अधिकार पट्टे और 0.974 लाख सामुदायिक वन अधिकार पट्टे वितरित किए गए, जिससे जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाया गया। सामुदायिक वन अधिकार (सीएफआर) पट्टों के वितरण में उल्लेखनीय 412.71% की वृद्धि हासिल की गई, जिससे जनजातीय स्वशासन मजबूत हुआ। वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के तहत निहित भूमि को 55.30 लाख एकड़ से बढ़ाकर 232.66 लाख एकड़ किया गया – यह 320.72% की वृद्धि है। जम्मू और कश्मीर में भी FRA का कार्यान्वयन बढ़ाया गया (31 अक्टूबर, 2019 से)। जम्मू-कश्मीर में 6,020 पट्टे जारी किए गए, जिनमें 429 व्यक्तिगत और 5,591 सामुदायिक पट्टे शामिल हैं। सामुदायिक अधिकार पट्टों की संख्या 23,578 (मई 2014) से बढ़कर 98,050 (मार्च 2025) हो गई। पीएम-किसान योजना के तहत 7 लाख पीवीटीजी किसानों/एफआरए पट्टा धारकों को पंजीकृत किया गया। 4.5 लाख पीवीटीजी किसानों/एफआरए पट्टा धारकों को 16वीं पीएम-किसान किस्त की प्राप्ति में सुविधा प्रदान की गई। ओडिशा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पीवीटीजी को आवास अधिकार प्रदान किए गए। 14 मार्च, 2024 को दूसरा संयुक्त संचार (पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और जनजातीय कार्य मंत्रालय) जारी किया गया, जो प्रभावी एफआरए कार्यान्वयन और मजबूत दावा-पश्चात सहायता तंत्र सुनिश्चित करता है। धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत एफआरए पहल रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण और राज्यों में एफआरए दावा प्रक्रियाओं का सुव्यवस्थितीकरण। संभावित वन अधिकारों का मानचित्रण: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु में एफआरए एटलस लॉन्च किया गया। संभावित एफआरए गांवों की पहचान की गई: मध्य प्रदेश में 26,555, छत्तीसगढ़ में 11,500, तमिलनाडु में 4,174 गांव (17,877 बस्तियां)। दावों और दावा-पश्चात सहायता की सुविधा के लिए राज्य, जिला और उप-विभागीय स्तरों पर एफआरए प्रकोष्ठों की स्थापना। सामुदायिक वन संसाधन (सीएफआर) प्रबंधन के लिए समर्थन: सीएफआर प्रबंधन गतिविधियों के लिए प्रति हेक्टेयर 15,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई। प्रति सीएफआर योजना (100 हेक्टेयर तक के लिए) के लिए 15 लाख रुपये की वित्तीय सहायता और तकनीकी सहायता के लिए 1 लाख रुपये का प्रावधान किया गया। 90,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को कवर करते हुए 920 सीएफआर प्रबंधन योजनाओं को मंजूरी दी गई। निम्नलिखित राज्यों में 644 सीएफआर प्रबंधन योजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान की गई: छत्तीसगढ़: 224 योजनाएं, हिमाचल प्रदेश: 10 योजनाएं, मध्य प्रदेश: 300 योजनाएं, ओडिशा: 100 योजनाएं, तमिलनाडु: 10 योजनाएं। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान अनुच्छेद 275(1) के तहत महाराष्ट्र के 121 गांवों को सीएफआरआर योजना तैयार करने के लिए समर्थन दिया गया। जनजातीय स्वास्थ्य संवर्धन (2014-2025):केंद्रीय बजट 2023-24 में इसे सिकल सेल एनीमिया (एससीए) के कारण होने वाले स्वास्थ्य संकट को दूर करने के उद्देश्य से एक प्रमुख पहल के रूप में घोषित किया गया था, विशेष रूप से भारत के जनजातीय क्षेत्रों में। यह मिशन 2047 तक सिकल सेल एनीमिया को खत्म करने के देश के विजन के अनुरूप है। सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन: माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 1 जुलाई 2023 को शहडोल, मध्य प्रदेश से लॉन्च किया गया। सार्वभौमिक स्क्रीनिंग अभियान के तहत 5 करोड़ से अधिक व्यक्तियों की सिकल सेल एनीमिया के लिए स्क्रीनिंग की गई। जागरूकता अभियान के मुख्य बिंदु: 19 जून से 3 जुलाई 2024 तक दो सप्ताह का राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया गया। इसमें 1.60 लाख आयोजन शामिल थे, जिनमें: 1 लाख स्वास्थ्य शिविर; 27 लाख स्क्रीनिंग परीक्षण; 13.19 लाख स्क्रीनिंग कार्ड वितरित किए गए। धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत उत्कृष्टता केंद्र (सीओसी): जनजातीय स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने के लिए 14 राज्यों में 15 उत्कृष्टता केंद्रों को मंजूरी दी गई। जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआई) को मजबूत करना:जनजातीय कार्य मंत्रालय (MoTA) ने जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआई) को सहायता योजना के माध्यम से पूरे भारत में जनजातीय अनुसंधान,डीटीएस, सांस्कृतिक संरक्षण को बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। 2014 से नए जनजातीय अनुसंधान संस्थान (टीआरआई) स्थापित करने के लिए धन स्वीकृत किया गया है: आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, मेघालय, गोवा, तेलंगाना, त्रिपुरा और मणिपुर में। 15 नवंबर 2024 को सिक्किम और जम्मू-कश्मीर में दो टीआरआई भवनों का उद्घाटन किया गया। टीआरआई नेटवर्क का विस्तार कर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 29 टीआरआई किए गए हैं। कक्षा I से V तक के छात्रों के लिए विभिन्न जनजातीय भाषाओं में 272 से अधिक प्राइमर विकसित किए गए हैं। ये प्राइमर सांस्कृतिक प्रासंगिकता, साक्षरता और विरासत संरक्षण पर जोर देते हैं। टीआरआई योजना को समर्थन के तहत विकसित किए गए इन प्राइमर में जनजातीय युवाओं को अपनी भाषाओं में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाने हेतु सामुदायिक भागीदारी और विशेषज्ञ इनपुट शामिल हैं। जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय – जनजातीय नायकों की विरासत का संरक्षण:वर्ष 2017-18 से, भारत सरकार ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जनजातीय क्रांतिकारियों के महत्वपूर्ण योगदान का सम्मान करने के लिए पूरे भारत में 11 जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों के निर्माण को मंजूरी दी है। ये संग्रहालय गुजरात, झारखंड, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, मणिपुर, मिजोरम और गोवा में स्थापित किए जा रहे हैं।रांची, झारखंड में भगवान बिरसा मुंडा जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 15 नवंबर, 2021 को किया गया।15 नवंबर 2024 को मध्य प्रदेश में दो अतिरिक्त संग्रहालयों का उद्घाटन किया गया: श्री बादल भोई जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय, छिंदवाड़ा। राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय, जबलपुर। एक दूरदर्शी छलांग: प्रमुख संस्थानों में भगवान बिरसा मुंडा प्रकोष्ठों की स्थापना: एम्स दिल्ली: जनजातीय स्वास्थ्य और हेमेटोलॉजी के लिए चेयर, जिसमें सिकल सेल रोग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। आईआईटी दिल्ली: जनजातीय प्रौद्योगिकी और आजीविका नवाचार प्रकोष्ठ, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) पर केंद्रित होगा। जनजातीय कला, संस्कृति, विरासत और भाषाओं के संरक्षण के लिए डिजिटल नवाचार: आदि संस्कृति (AADI SANSKRITI): डिजिटल जनजातीय विश्वविद्यालय (बीटा संस्करण शुरू): जनजातीय कला रूपों पर 100+ ई-पाठ्यक्रम विकसित किए जा रहे हैं; 10,000+ जनजातीय डिजिटल रिपॉजिटरी प्रविष्टियां बनाई जा रही हैं; जनजातीय कारीगरों के लिए एक ई-कॉमर्स पोर्टल ‘आदि हाट’ लॉन्च किया जा रहा है। आदि वाणी (AADI VAANI) AI अनुवादक (बीटा संस्करण शुरू): आईआईटी दिल्ली और अन्य के सहयोग से विकास, जिसमें 4 प्रमुख जनजातीय भाषाएं शामिल हैं – संथाली, भीली, मुंडारी और गोंडी। जागरूकता और लाभ संतृप्ति शिविर: अंतिम मील तक समावेशन:धरती आबा शिविर: 4,000 से अधिक शिविर आयोजित किए गए, जिनसे 39 लाख से अधिक लाभार्थियों तक पहुंच बनाई गई। पीएम-जनमन शिविर: 18,000 से अधिक शिविरों में 28 लाख से अधिक PVTG को कवर किया गया। सिकल सेल अभियान: 1.6 लाख से अधिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए, 1 लाख से अधिक स्वास्थ्य शिविर लगाए गए, 27 लाख से अधिक व्यक्तियों का परीक्षण किया गया और 13.19 लाख सिकल सेल कार्ड वितरित किए गए। प्रमुख परिणाम:7 लाख से अधिक पीएम-किसान लाभार्थी की पहचान की गई; 12 लाख से अधिक आयुष्मान भारत कार्ड जारी किए गए; 2 लाख से अधिक आधार कार्ड बनाए गए। अनुसूचित जनजातियों की सूची में अधिसूचित नए समुदाय:2014-2024 के दौरान 117 समुदाय अधिसूचित किए गए (2004-2014 के दौरान 12 समुदाय अधिसूचित किए गए थे) । जनजातीय कल्याण बजट में अभूतपूर्व वृद्धि बजटीय वृद्धि: जनजातीय कार्य मंत्रालय (MoTA) का बजट 4,295.94 करोड़ रुपये (2013-14) से बढ़कर 13,000 करोड़ रुपये (2024-25) हो गया है। अनुसूचित जनजाति घटक (डीएपीएसटी) 5 गुना बढ़ा है, जो 24,598 करोड़ रुपये (2013-14) से बढ़कर 1.23 लाख करोड़ रुपये (2024-25) हो गया है। प्रमुख आवंटन: पीएम-जनमन: 24,104 करोड़ रुपये, धरती आबा अभियान: 79,156 करोड़ रुपये। जनजातीय कल्याण और विकास के लिए राज्यों को अनुदान:पिछले दशक में, जनजातीय विकास के लिए राज्यों को 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है। इन अनुदानों ने 5,000 से अधिक परियोजनाओं का समर्थन किया है, जिससे जनजातीय क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे, शिक्षा, कौशल विकास और आजीविका सृजन में सुधार हुआ है। जनजातीय कल्याण के लिए स्वैच्छिक संगठनों को सहायता अनुदान:जनजातीय कार्य मंत्रालय अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के कल्याण के लिए काम करने वाले स्वैच्छिक संगठनों (VOs) और गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को सहायता अनुदान प्रदान करता है। यह वित्तपोषण जनजातीय समुदायों की शिक्षा, आजीविका सृजन, स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक सशक्तिकरण में पहलों का समर्थन करता है। पिछले 10 वर्षों में भारत भर के लगभग 200 गैर-सरकारी संगठनों को लगभग 1,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इन निधियों ने लगभग 300 परियोजनाओं का समर्थन किया है, जिससे कल्याण, शिक्षा और स्थायी आजीविका को बढ़ावा देकर हजारों जनजातीय व्यक्तियों और परिवारों को सीधे लाभ हुआ है।